एकाग्रता और अवधान



ध्यान को एक ही बिंदु या विषय पर
स्थिर करने को एकाग्रता कहते हैं
जबकि एक ही वक्त में
ध्यान को सर्वत्र बनाये रखने को
अवधान कहते हैं
एकाग्रता है अपने से भागने की कोशिश,
अवधान है सर्वत्र (अपने को समाहित करते हुए)
जागने की सहजता
-अरुण 

Comments

Popular posts from this blog

मै तो तनहा ही रहा ...

पुस्तकों में दबे मजबूर शब्द

यूँ ही बाँहों में सम्हालो के