बात मुहब्बत की करो जहाँ मुहब्बत न हो
न
कहीं किसी की किसी से दूरी है
सो
फिर न जुड़ने या बिछड़ने की
मज़बूरी
है, सारी जमीन सारा आसमान
कुदरत
की चीज में एक का एक हुआ,
समाया
हुआ,
ऐसे
में बात मुहब्बत की करना ठीक नहीं
क्योंकि
यहाँ मुहब्बत से कुछ भी दूर नहीं
-अरुण
Comments