पौधा और पवन



पौधा अपने को पवन के हवाले छोड़े हुए उसके साथ मस्ती में डोलता रहता है. अगर पौधा, पवन के साथ अपनी सुसंगति को भुलाकर, पवन को ढकेलने लगे तो टूट कर बिखर जाएगा.
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मन-ऊर्जा और स्मृति का नाता कुछ ऐसा ही है. जब स्मृतियाँ मन ऊर्जा पर तैरती होती है तब मन बिलकुल शांत होता है और जब स्मृतियाँ अज्ञानवश मन ऊर्जा को चलाने या drive करने लगतीं हैं तब ऊर्जा और स्मृतियाँ, दोनों ही खंडित होकर , मन-शांति को भंग कर देतीं हैं.
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अहंकार या कर्ता भाव का जागना ही. स्मृति द्वारा ऊर्जा को drive किया जाना है. स्मृति का ऊर्जा के हवाले होना ही,  कर्ता भाव का विलोपित हो जाना है.
-अरुण

Comments

yashoda Agrawal said…
आपकी लिखी रचना मंगलवार 05 अगस्त 2014 को लिंक की जाएगी........
http://nayi-purani-halchal.blogspot.in आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
Pratibha Verma said…
बहुत ही सुंदर ...

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