दो रुबाई आज के लिए
दो रुबाई आज के लिए
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आइना हो साफ़ आँखें साफ़ हों
बस हक़ीक़त से तभी इंसाफ़ हो
एक नन्हें की तरह देखा करो
सीधा पहलू हो असल दरयाफ़* हो
दरयाफ़ = दरयाफ़्त = खोजबीन
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बेखुदी गर... जिंदगी किस काम की ?
बेरुहानी बंदगी किस काम की ?
खोज का सामान जब ज़िंदा नही
जुस्तजू-ए- जिंदगी किस काम की ?
जुस्तजू-ए- जिंदगी= जिंदगी की खोज
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अरुण
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आइना हो साफ़ आँखें साफ़ हों
बस हक़ीक़त से तभी इंसाफ़ हो
एक नन्हें की तरह देखा करो
सीधा पहलू हो असल दरयाफ़* हो
दरयाफ़ = दरयाफ़्त = खोजबीन
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बेखुदी गर... जिंदगी किस काम की ?
बेरुहानी बंदगी किस काम की ?
खोज का सामान जब ज़िंदा नही
जुस्तजू-ए- जिंदगी किस काम की ?
जुस्तजू-ए- जिंदगी= जिंदगी की खोज
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अरुण
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