रुबाई
रुबाई
********
चलिए इसतरह के.........न हो मंज़िल कोई
हवा चले, नदी बहे............. न मंज़िल कोई
चाहत की जिंदगी में....... मंज़िलें ही मंज़िलें
क़ुदरत के हर सफ़र की....... न मंज़िल कोई
अरुण
********
चलिए इसतरह के.........न हो मंज़िल कोई
हवा चले, नदी बहे............. न मंज़िल कोई
चाहत की जिंदगी में....... मंज़िलें ही मंज़िलें
क़ुदरत के हर सफ़र की....... न मंज़िल कोई
अरुण
Comments