द्वार पर ही अटके गये
सत्य का किला
जिसके कई द्वार
हरेक द्वार है एक श्रद्धा स्थान
जहाँ से गुजरकर अन्दर
सत्य तक पहुँचना है
हम सब द्वार पर ही अटक गये हैं
द्वार को ही सत्य मान बैठें हैं
हम हिन्दू बने, मुस्लिम बने,
आस्तिक बने, नास्तिक बने,
पर धार्मिक न बन पाए
द्वार पर ही अटक गये
.............................. अरुण
जिसके कई द्वार
हरेक द्वार है एक श्रद्धा स्थान
जहाँ से गुजरकर अन्दर
सत्य तक पहुँचना है
हम सब द्वार पर ही अटक गये हैं
द्वार को ही सत्य मान बैठें हैं
हम हिन्दू बने, मुस्लिम बने,
आस्तिक बने, नास्तिक बने,
पर धार्मिक न बन पाए
द्वार पर ही अटक गये
.............................. अरुण
Comments
द्वार पर ही अटक गये..........bahut sundar
द्वार पर ही अटक गये
सच ही लिखा आपने।