बंधी दृष्टि
तांगे या बग्घी को जोता गया घोडा
नाक की सीध में भागता है
उसकी आँखों को पट्टी से
इस तरह ढंक दिया जाता है
कि वह केवल सीध में ही देख सके,
बाएं- दाएं देखकर कहीं भटक न जाए
समाज भी अनुशासन के नाम पर
व्यक्ति की आखों को विश्वासों, परम्पराओं तथा
रिवाजों की पट्टियाँ बांध देता है
ताकि व्यक्ति व्यवस्था के प्रति
बगावत न कर पाए
ऐसा व्यक्ति अनुशासन में तो ढल जाता है
पर वह अपनी स्वतन्त्र -दृष्टी की शक्यता को खो बैठता है
............................................................... अरुण
Comments