मुक्ति
पिंजड़े का पंछी
खुले आकाश में आते
मुक्त महसूस करे
यह तो ठीक ही है
परन्तु अगर
पिंजड़े का दरवाजा
खुला होते हुए भी
वह पिंजड़े में ही बना रहे और
आजादी के लिए प्रार्थना करता रहे तो
मतलब साफ है
आजादी के द्वार के प्रति वह
सजग नही है
वह कैद है
अपनी ही सोच में
................................... अरुण
Comments
साधुवाद!
लालसाओं के भंवर में फ़ंसे मुक्ति चाहक भी तुच्छ सुखों के प्रलोभन में मुक्तिद्वार देख ही नहिं पाते।
वह कैद है अपनी ही सोच में