क्षण ही जीवन

हर क्षण स्वतन्त्र है

न पिछले क्षणों से इसका

कोइ जोड़ है और

न अगलों से कोई लगाव

पर हमारी जिंदगी में

ऐसा नहीं क्योंकि

यह हमारी है और

इसीलिए यह पिछले क्षणों को

दुहराने और

अगलों (भविष्य) को

साकारने में लगी हुई है

यह हमारी है इसीलिए जिन्दा नहीं है

हमेशा गाडी हुई है

पिछलों और अगलों में

................................. अरुण





Comments

Sunil Kumar said…
सारगर्भित रचना बधाई

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