कहानी की किताब में कहानी नहीं बसती
कहानी की किताब में छपे
शब्द/वाक्य पढते ही
सारी कहानी समझ आ जाती है
परन्तु किताब कों कितना ही
उलटो,पलटो, फाडो, जलाओ
उसमें से न कहानी गिरेगी और
न कहानी जलेगी
शरीर के मस्तिष्क यन्त्र में भी
कुछ ऐसा ही है
विचार, प्रतिमाएं, स्वप्न,
आशय
पर मस्तिष्क में अगर झांको
इसमें कुछ
न दिखेगा
सिवा मस्तिष्क की
बनावट के
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