सबसे कम आत्मनिर्भर है आदमी
सबसे कम आत्मनिर्भर है आदमी
उसका समाज पराधीन लोगों का
आत्मनिर्भर जमावड़ा है
हर चीज,उपाय,ज्ञान, कौशल, के लिए
वह दूसरों की तरफ ताकता है
दूसरों की कल्पनाओं,उपदेशों,बताए सिद्धांतों को
से जुड जाने को ही अपनी उपलब्धि मानता है
पिछलों से लेता है, अगलों को देता है
जितने समय उसके पास हो
अपना समझ लेता है
अपनी समस्याओं को, कष्टों को, विवंचनाओं को
बिना ठीक सी देखे या परखे
रचे रचाए हल या उपायों की
खोज में वह दर दर भीख मांगता है
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