उगता- फलता- फला देखा, बीज न देखा

अंकुर फूटा, देख लिया

पौधा बना, देख लिया

वृक्ष लहराता, देख लिया

लेकिन जमीन में दबे

जिस बीज से

यह सब घटा उसके बाबत

मै बेखबर रहा और बेखबर हूँ.....

अब भी भीतर

कई जहरीले बीज

(क्रोध, भय, लालसा जैसे)

जो मुझसे फूटते रहतें है,

दबे पड़े हैं मगर

मै बेखबर हूँ उनके बाबत

.............................. अरुण


Comments

Jandunia said…
शानदार पोस्ट

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