दिखता तो है पर धुंधला धुंधला
मिचकाती आँखों से जिंदगी का सारा तमाशा
दिखता तो है
पर धुंधला धुंधला
बात समझ में आती तो है पर
थोड़ी थोड़ी
इन धुंधली धुंधली
आधी-समझी बातों से छुटकारा नहीं
तबतक
जबतक मिचकाती आँखों और उनमें
समाये सारे तमाशे को
अस्तित्व की खुली आँख
देख नहीं लेती एक ही पल में
अचानक
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