किताबें अनुभव नहीं देतीं
योगी अपने अनुभवों की लिखकर
योग पर किताब छापे –
यह बात तो समझ में आती है
पर उस किताब को पढकर
कोई योगाभ्यास करे – ये बात
समझ में नहीं आती
अनुभवों पर किताब लिखी जाती है
पर किताब पढ़ने से अनुभव नहीं होते
हाँ, अनुभव की कल्पना की जा सकती है
कल्पना सघन हो तो अनुभव की
भ्रान्ति भी हो सकती है
पर अनुभव नहीं
............................................... अरुण
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