और अब सब अलग अलग

सारी कहानी एक ही जीवंत क्षण में

घट रही है

सूरज है, किरणें हैं, धूप है

गर्मी है, है पसीना

है पसीने की नमी का बदन को छूता स्पर्श

सूरज से लेकर उस स्पर्श और उसके भी

आगे का सारा अनुभव एक ही क्षण में

भीतर के खालीपन को छूता है

पर जैसे ही उस खालीपन में देखनेवाला उभर आता है

सारी बातें बट जाती हैं

सूरज अलग, किरणे अलग, धूप भी कहीं दूर अलग

और पसीने का अनुभव भी अलग ही अलग

पहले एक का एक और अब

सब अलग अलग

....................................... अरुण



Comments

बहुत सुंदर भावों को सरल भाषा में कहा गया है. अच्छी रचना
बहुत देर से पहुँच पाया ....माफी चाहता हूँ..

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