सारा अस्तित्व एक का एक

सारा अस्तित्व एक का एक है

कहीं कोई भेद नही, कोई टुकड़ा नही

मेरा अस्तित्व अलग और तेरा अलग

- ऐसा भी नही

कुदरत स्वयं को जिस दृष्टि से देखती है

उसी दृष्टि से देखने पर सारा अस्तित्व क्या है

यह समझ आता है

.........

टुकड़ों में जो दिखे कैसा वजूद?

मेरा वजूद, तेरा वजूद, उसका वजूद?

कुदरत को जिस तरह से दिखे, वैसा दिखे

वही सच्चा है- तेरा और मेरा, सबका वजूद

................................................ अरुण


Comments

Popular posts from this blog

मै तो तनहा ही रहा ...

पुस्तकों में दबे मजबूर शब्द

यूँ ही बाँहों में सम्हालो के