दृष्टिवानो को चुनना नही पडता
दृष्टि यदि साफ हो और
सामने फैला प्रकाश हो
तो रास्ता चुनना नही पडता
कदम सही रास्ते पर पड़ते हैं
अपने आप
कोई निर्णय लेना नही पडता
न ही गलती से बचने की
किसी जिम्मेदारी का बोझ ढोना पडता है
ये सारी बातें कि
क्या सही, क्या गलत,
कौन सा अपना कौन सा पराया –
केवल दृष्टिविहीनों के लिए हैं
दृष्टिवानो के लिए नही
...................................... अरुण
Comments
चिठ्ठाकारी के लिए, मुझे आप पर गर्व।
मंगलमय हो आपको, सदा ज्योति का पर्व॥
सद्भावी-डॉ० डंडा लखनवी
----------------------------------