मन एक भूमिका अनेक
रंगमंच पर एक ही पात्र
एक साथ
अनेक भूमिकाएं इस सटीक ढंग से निभाता है कि
लगता है - कई पात्र मिलकर
विभिन्न भूमिकाएं
कर रहें है
दर्शक भी इतने रम जातें हैं कि
उन्हें प्रतीत होता है कि मानो
रंगमंच पर कई पात्र साकार हो चुके है
मन भी इसीतरह का
‘एक पात्र और बहुभूमिका’ वाला नाटक है
मन के इस नाटक में
अभिनेता-दर्शक
(दोनों एक ही यानी मन )
इस सच्चाई से बेखबर हैं कि
वही एक (स्वयं) अनेक भूमिकाएं
निभा रहा है
....................................... अरुण
अब कुछ दिन विराम
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