क्या यह सब किसी ‘महान शक्ति’ का परिचायक है?
भारत के सही प्रतिनिधित्व का दावा करनेवाला
समस्त भारतीय मीडिया
गये दो दिन केवल इस बात को लेकर परेशान था कि
बराक ओबामा साहब पाकिस्तान को हमारे समर्थन में
कुछ सुनाते क्यों नही ?- पाकिस्तान के नाम पर चुप्पी क्यों साधे हुए है?
गहरे में सोचा जाए तो कहीं न कहीं
हमारे भीतर से मानसिक गरीबी और लाचारी की
गंध आ रही थी
सामने का पक्ष (अमेरिका) खुले तौर पर
बिना किसी ढकोसले के, समान धरातल पर खड़े होकर,
हमारा आर्थिक सहयोग मांग रहा था
फिर भी, हमसे सौदे की पेशकश करने वाले इस ‘मित्र-सौदागर’ से सौदा करने के
बजाय (यानी हाँ या ना करने के बजाय ) हम उससे कह रहे थे
पहले कुछ आँसू जतलाइए और फिर बात होगी
सामने का पक्ष भारत को दुनिया की महान शक्ति कह कर संबोधित कर रहा था
(दिल से हो या मतलब से) और हम एक लाचार की तरह
उससे सहानुभूति की मांग कर रहे थे
क्या यह सब किसी ‘महान शक्ति’ का परिचायक है?
...................................................................... अरुण
Comments
कसाब जैसे लोग अमेरिकी एजेंटों द्वारा प्रशिक्षित किए जाते हैँ ताकि एशिया में फूट पड़ी रहे और वे उनके झगड़ों में पंच बने रह सकें अपना माल बेच सकें ।
ओबामा ने कहा ही है कि पाकिस्तान उसका दोस्त है , मतलब साफ़ है भारत के विरोध में पाकिस्तान से संचालित आतंकी गतिविधियां अमेरिकी कूटनीती का ही हिस्सा हैं।