क्षमता सब में, घटना बिरली
साच सभी को दिख सके,
गर अखियाँ खुल जाय
अखियों का खुलना मगर, घटना बिरली होय
-अरुण
सत्य से साक्षात्कार
की क्षमता
हर व्यक्ति में होते
हुए भी,
ऐसा साक्षात्कार कुछ
के ही
जीवन में घटा ज्ञात
हुआ है,
आँखों पर माया का पर्दा
पड़ा होने के कारण
सत्य बोध फलित नही
होता.
माया का विचित्र जाल,
मुक्ति के लिए प्रयास
करते लोगों को
माया में और भी उलझा
देता है.
जिन्हें सृष्टि,
दृष्टि और दृश्य तीनों की
समझ एक पल में स्पष्ट
हुई,
वही माया से मुक्त
हो पाए
-अरुण
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