अहंकार से जानना बनाम तत्व से जीना
गीता ने लोकभाषा में
कहा है कि
सृष्टि में कुल आठ
तत्व हैं,
पांच बाहरी और तीन
भीतरी,
बाहरी हैं –
अग्नि, आकाश (कालोकाश),
पृथ्वी,
वायु और जल,
भीतरी हैं –
मन. बुद्धि और अहंकार.
इनमें ठोसतम है पृथ्वी
और
सूक्ष्मतम है अहंकार.
यह अहंकार पदार्थ को
जानने या पदार्थ-ज्ञान
का काम करता है
इसके परे जाकर सभी
आठ-तत्वों की
सकलता को जीने का काम
तत्व करता है,
इसी जीवंत तत्व के
साथ एक हो जाने को
तत्व-बोध या
परमात्म-ज्ञान कहना
उचित होगा
-अरुण
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