नौका डूबी मर गये ...



नौका डूबी मर गये पैंतीस चालीस लोग
नही अपना उसमें कुई, यह ‘अच्छा’ संजोग
-अरुण

मनुष्य के स्वार्थयुक्त चिंतन का
यह एक उदाहरण है.
दुर्घटना का समाचार
तब अधिक दुखदायी होता है
जब उस दुर्घटना में
अपना या आप्त मरे या घायल हो जाए
मनुष्य की उत्सुकता
यह जानने में अधिक है कि दुर्घटना का रिश्ता
स्वयं से क्या और कितना है
-अरुण  

Comments

Popular posts from this blog

मै तो तनहा ही रहा ...

षड रिपु