अस्तित्व आकाश में, चित्त धरती पर



असीम विराट आकाश में
हर पल हर क्षण
उड़ता हमारा आत्म-पक्षी
धरती पर पड़े सड़े-गले मुर्दों पर ही
अपने मन-चक्षुओं को गडाए हुए है,
उन्हीं में रममाण है,
इससे जब उसका मन ऊब जाता है
तब धरती की ओर ही नजर टिकाये हुए वह
आकाश को खोजने लगता है
-अरुण    

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