मानवता को भी है अहंकार

नवजात शिशु कों

समाजिक बनाने की

प्रक्रिया के शुरू होते ही

उसमें अपना स्वतन्त्र अस्तित्व होंने का

भाव फलने लगता है

उसका अहंकार ढलने लगता है

परन्तु सारी मानवता का भी अपना एक

अहंकार है

अस्तित्व में मानव स्वयं कों

विशेष मानता है

क्या वह विशेष है?

....................................... अरुण



Comments

Udan Tashtari said…
बहुत बढ़िया!

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