छिटक कर सागर से ......
छिटक कर सागर से
मछली तट पर आ गिरी
छटपटाती है लौट जाने को
धीरे धीरे ...
एक नही, दो नही,
कई छटपटाती मछलियाँ मिलती हैं
बनाती हैं - समाज
समाज- जो बुनता है
अपना कल्पना-जाल
जिसके नीचे छुपकर मछलियाँ
दबा देती हैं
अपनी छटपटाहट
छिटक कर सागर से
मछली तट पर आ गिरी
छटपटाती है लौट जाने को
धीरे धीरे ...
एक नही, दो नही,
कई छटपटाती मछलियाँ मिलती हैं
बनाती हैं - समाज
समाज- जो बुनता है
अपना कल्पना-जाल
जिसके नीचे छुपकर मछलियाँ
दबा देती हैं
अपनी छटपटाहट
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