ध्यान वैज्ञानिक है फिर भी विज्ञान-स्वीकृत नही

मन को मन से समझने का काम

मनोवैज्ञानिक ढंग से हो जाता है

इसमें वैज्ञानिक पद्धति का ही उपयोग है

परन्तु तन-मन-अस्तित्व को सकल रूप में

समझने के लिए ध्यान का उपयोग होता है

जिसमें वस्तु-निष्ठता और व्यक्तिनिष्टता

दोनों का ही समावेश होते हुए भी इसे

अभीतक विज्ञान नही माना गया

विज्ञान - सार्वजनिक वस्तुनिष्ठ निरिक्षण है और

ध्यान - व्यक्तिगत वस्तुनिष्ठ-निरिक्षण

चूँकि यह व्यक्तिगत है, विज्ञान इसे अपनी श्रेणी में

रखने को तैयार नही

............................................. अरुण

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विज्ञान की शुरुवात परिकल्पना (हायपोथिसीस) से होती है। परिकल्पना तीन प्रकार से सत्यापित होती है।
१ उपपत्ती (प्रूफ) उदा. रेखागणित (जिओमेट्री)
२ स्पष्टीकरण (एक्स्प्लेनेशन) उदा समाज विज्ञान
३ समर्थन (जस्टिफिकेशन) मनोविज्ञान
दूसरे के मन का अस्तित्व यह तत्त्वज्ञान की एक पहेली है
ध्यान से मन ओझल हो जाता है और अस्तित्व के साथ एकरूप हो जाता है} लेकिन यही पहेली मन को मान्य ही नही होती। इसिलिये अध्यात्मशास्त्र अन्य शास्त्रो के समकक्ष नही रख सकते।

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