अपना बंधन चुनने की आजादी
यह मेरी अपनी राय है
कोई सिद्धांत नही,
गलत भी हो सकती है
भारत में प्रायः व्यक्तिगत स्तर पर
बहुतेरे राजनीतिज्ञ समझदार और सुलझे हुए हैं
पर पार्टीका झंडा उठाने के बाद
पार्टी की आवाज में आवाज मिलाते हुए
कुछ भी बोलने और करने को
तैयार हो जातें हैं
आजाद भारत के राजनीतिज्ञ
आजाद नही हैं
हाँ, अपना बंधन चुनने की
आजादी तो है उनके पास
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