शब्दों की गाड़ी हमेशा ही खाली

शब्दों की गाड़ी हमेशा ही खाली

न इसपर कोई अर्थ लदता है और न ही

उतरता है

फिर भी इसपर लादने-उतारने का काम जारी है

इसपर अर्थ लादने वाले ने

क्या अर्थ लादा

यह लादनेवाला ही जाने

अर्थ उतारने वाले ने क्या उतारा

यह उतारने वाला ही जाने

फिर भी व्यावहारिक जगत में

यह खाली गाड़ी

अर्थ-वहन का काम करती रहती है

शब्दों से संवाद तो हो जाते हैं

पर संमिलन नही

.................................. अरुण


Comments

Udan Tashtari said…
सुन्दर...


रक्षा बंधन की हार्दिक शुभकामनाएँ.
बढिया .. रक्षाबंधन की बधाई और शुभकामनाएं !!

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