शब्दों की राजनीति

दो भिन्न व्यक्ति राम शब्द

का उच्चार करतें है

उच्चार समान होते हुए भी

जरूरी नही कि उसका आशय एक ही हो

एक के राम में पूरा अखंड, असीम विश्वरूप है तो

दूसरे का राम दशरथ-पुत्र राम की

बात करता है

शब्दों को लेकर बहस छेड़ना आसान है

राजनीतिज्ञों को ऐसी बहसें अच्छी लगती हैं

........................................................... अरुण

Comments

’राम नाम जानो नहि’ इस शिर्षक से ओशो ने एक पूरा ग्रंथ ही लिखा है।
’मन की लहरें’ अगर गूगल सर्च इंजिन मे डाले और ’आज मेरी किस्मत अच्छी है’ दबाये तो आपके ब्लॉग पर आसानी से पहुचा जा सकता है। इसका मतलब यह है कि गुगल पेज रैंकिंग मे आपका क्रमांक १ है।
आपने कोई SEO Techniques न सीख कर भी ऐसी महारत हासिल कर ली है।
आप अभिनंदन के पात्र हैं.
Majaal said…
he he , क्या satire (व्यंग्य) है !

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