जो बोले सुनता वही ....

संवाद के लिए

कम से कम दो चाहिए

दो छोर, दो व्यक्ति, दो समूह

मस्तिष्क के भीतर एक भी नहीं

फिर भी संवाद की एक अटूट

धार बहे जा रही है

जो बोलता है वही सुनता है

वही जबाब भी देता है और

वही फिर सुनकर आगे ......



मस्तिष्क के भीतर केवल ख्वाब

उसके भीतर हैं कई ख्वाब

एक दूसरे से बोलते

एक दूसरे को देखते

इतना ही नहीं

भीतर के ये ख्वाबी बादल

ढक देते हैं

बाहरी जगत को भी

....................................... अरुण

Comments

...बेहतरीन रचना!!!
अच्‍छी अभिव्‍यक्ति।

Popular posts from this blog

मै तो तनहा ही रहा ...

यूँ ही बाँहों में सम्हालो के