आप बतला दें मुझे भूल तो नही जाएंगी
अप्रैल १, २०१२
आज से कुछ दिनों तक अपनी पुरानी रचनाओं को
इस ब्लॉग पर प्रकाशित कर रहा हूँ
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मै न भूलूँगा कभी साथ निभाना दिल से
आप बतला दें मुझे भूल तो नही जाएंगी
आपकी पहली मुलाकात में जादू कैसा
जो हमें आपके हांथो में हांथ देना पड़ा
आपका आना हकीकत को साथ लाना हुआ
जो हमें ख्वाब के दामन का साथ खोना पड़ा
मै न छोडूंगा कभी हांथ मिलाया दिल से
आप बतला दें मुझे ......
मैंने क्यों आप में उस ख्वाब की मूरत पायी
उम्रभर जिसकी तमन्ना में साँस लेता रहा
आप ही क्यों हमारे दिल को जीत कर बैठीं
इस सवालात में मै खुदको आज खोता रहा
मै न खोऊंगा कभी प्यार सजाया दिल में
आप बतला दें मुझे ......
जाने क्यों मुझको मुहब्बत में डर सा लगता है
क्योंकि हर बार दर्द ही नसीब आया है
इसलिए बार बार आपसे मै पूछता हूँ
आपने प्यार का साया तो नही लाया है
मै न भूलूँगा कभी आपका साया भी अब
आप बतला दें मुझे भूल तो नही जाएंगी
-अरुण
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