किसने जाना था के


किसने जाना था के बदल जाएगा, वक्त का नूर
कल करीब होंगे खयालों में, निगाहों से तो दूर

वक्त के साथ बदलनी है तो बदले हर बात
जो गई बीत, उसे कौन बदल पाए हुजूर

दिन गुजरते हैं तो सब घाव भी भर जाते हैं
फिर भी रह जाते हैं हर हाल में, कुछ दाग जरूर

चंद लम्हों की मुलाकात का जादू कैसा
जिंदगीभर उन्ही लम्हों का किया करते गरूर

इश्क में जारी रहे सिलसिला गुनाहों का
ये एहम बात नही, किसने किया पहला कसूर
- अरुण

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