कभी बीती हुई बातों का खयाल आता है
कभी बीती हुई बातों का खयाल आता है
खोया दिल खुद से यही कह के सम्हल जाता है
नजरें जिन्होंने मिल के बुझाई न दिल प्यास
वो मेरे पास न होती तो बहोत अच्छा था
सोये तुम्हारी जुल्फ के साये में मेरी आस
ये हवस दिल में न होती तो बहोत अच्छा था
जनम जनम का रहे साथ यह कह कर बढे थे हांथ
गर मिले हांथ न होते तो बहोत अच्छा था
जाहिर हुआ था जिससे छुपाया न गया प्यार
प्यार जहिर ही न होता तो बहोत अच्छा था
जीता था तेरा प्यार बैठा हूँ तुझे हार
प्यार जीता ही न होता तो बहोत अच्छा था
-अरुण
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