....... तुम्हे ही रोना आता है?


बिदाई की घडी पाकर तुम्हे ही रोना आता है?
हमारे दिल ने भी हर दर्द का एहसास जाना है
शिकायत है अगर तुझको, हमें रोना नही आया
तो मतलब, तुझको मेरे दिल की गहराई को पाना है

मै जानता हूँ कि तुमने अश्कों को दबाया था
लबों पे मुस्कराहट की लकीरें हीं बनाई थी
तुम्हारे दिल में जो उभरी हुई थी सख्त बेचैनी
छुपाओ लाख, फिर भी तेरे चेहरे पर समायी थी

बेचारा दिल, मोहब्बत की बड़ी उलझन सम्हाले था
के तेरी उलझनों को देखकर मुश्किल न हो जाए
के औरों से बचाकर जिसको ख़ामोशी में ढाला है
वही उल्फत कहीं अश्कों में ढल जाहिर न हो जाए

कहती हो तो तेरे अश्क का हर्जाना भर दूँगा
मगर इक शर्त है, मुझको कभी भी याद ना लाना
अगर एहसास हो जाए कि तुमने याद लाया था
खुशी से झूमकर, मै अश्क को अनजाना कर दूँगा
-अरुण  

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