कल हमारे गर्म आँसू ......


कल हमारे गर्म आँसू गम भुलाकर थम गये थे
आज गम की दास्ताँ ही खत्म होकर थम गयी है

अब नही उम्मीद कोई अब अपना गैर होगा
अब न दिल में प्यार का गम ना किसी से बैर होगा
हर घडी सब भूलने के ख्याल में ही रम गयी है
आज गम की दास्ताँ ही ...........

अब न गीतों में कोई भी रंज और अफ़सोस होगा
और न उम्मीदों से भरमाता हुआ कुई जोश होगा
अब हकीकत की सतह है भावना सब जम गयी है
आज गम की दास्ताँ ही ...........

आज मेरे जिंदगी की राह कोई मोड लेगी
और तजुर्बे को सिरा-ए- जिंदगी से जोड़ लेगी
मेरे गीतों के लिए है जो मिला वो कम नही है
आज गम की दास्ताँ ही ...........
-अरुण

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