न शरमाओ हमारे गीत पढकर


तुम्हारी साद इसमें है, तुम्हारा प्रेम इसमें है
तुम्हारे रूप मदिरा का मधुरतम जाम इसमें है
गंवाता ही गया मै खुद को ऐसे गीत गढ़कर
न शरमाओ हमारे गीत पढकर

तुम्हारी लाज को पाकर, भरी हर आह इसमें है
तुम्हारे संग जीने की बनी हर चाह इसमें है
सजाये याद के मोती इन्ही गीतों में जड़कर
न शरमाओ हमारे गीत पढकर

बिछुड़कर हमने पाया विरह जिसका राग इसमें है
मिलन होते दृदय ने जो मनाया फाग इसमें है
विरह-आँसू, मिलन के पर्व आए इसमें चलकर
न शरमाओ हमारे गीत पढकर

तुम्हारे और मेरे जज्ब की तस्वीर इसमें है
इन्ही दो दिल को जो जकडे वही जंजीर इसमें है
हंसी आँसू मोहब्बत के, गिराए इसमें खुलकर
न शरमाओ हमारे गीत पढकर
- अरुण

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