लेकिन तुम्हारी याद आती है


वही नजरें वही हलचल वही मुस्कान होठों पर
ये कोई और है लेकिन तुम्हारी याद आती है
                
ये कितनी बेबसी है याद तेरी खो नही सकता
हजारों बार सोचा फिर भी मुझसे हो नही सकता
न जाने क्यों हमारे सामने वे लोग आते हैं कि
जिनमें तेरे साये हैं मगर मै छू नही सकता
वही नजरें ........

नयी उम्मीद का हर ख्वाब लेकर मै भटकता हूँ
सहारे के लिए हर दर पर मै बस झांक लेता हूँ
बदकिस्मत- किसी दर पे ये वैसी ही शकल दिखती
नया सब भूलकर मै फिर पुराना दर्द पाता हूँ
वही नजरें ............

अलग ही क्यों न हो हर नक्श तेरे नक्श से लेकिन
नजर मेरी वही जिसने तुम्हारे ख्वाब देखें हैं
पुरानी दास्ताँ खोने नये फूलों को जब देखा
वही नजरें वही हलचल वही अंदाज देखे हैं

वही नजरें वही हलचल वही मुस्कान होठों पर
ये कोई और है लेकिन तुम्हारी याद आती है
-अरुण

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