असत्य सत्य से जुदा कहाँ ?
ये हस्ती लहरों में ही ढल चुकी है
समन्दर की खोज में चल चुकी है
पता नही कब समन्दर से मिलना होगा
?
लहर समन्दर से जुदा नही है –
इस राज का खुलना होगा ?
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अगर लहर है असत्य
तो इस असत्य के ही
पीछे खड़ा है समन्दर का सत्य,
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सत्य की ही भूमि पर असत्य उपजा है
उपज और भूमि दोनों का एक साथ,
एक ही पल में
दर्शन घट जाए तो बात बन जाए
-अरुण
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