बोधना और जानना
जानने समझने का काम
मन-बुद्धि करती है
और
बोधने का काम
पूर्ण अवधान करता है.
दिक्कत यही है कि
यदि अवधान पूर्ण न
हो तो
बोधना हो ही नही
पाता और
मन-बुद्धि
अर्ध-बोधित को
जानने में लग जाती
है और
उसे ज्ञेय बना देती
है
अज्ञेय यानि वह जिसे
जाना नही जा सकता
-अरुण
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