मुक्ति की आकांशा
संसार-वस्तु की आकांक्षा और
मुक्ति की आकांशा में मूलतः
कोई अंतर नही, क्योंकि दोनों ही आकांक्षाएँ
मन की गति से फलती हैं.
आकांशा से मुक्ति
अवतरित नही होती, बल्कि अज्ञान के
पट
हट जाने से पुनःस्थापित होती है
-अरुण
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