मरने के बाद भी .....
मरने के बाद उसकी
शव पेटिका को फूलों
से सजाया गया था ,
उसके शव के पीछे बड़ी
बड़ी कारोंका
काफिला चल रहा था
.......
मृत्य के बाद भी आदमी
की अहमियत
सर उठाती है, अपने
खोखलेपन और ढोंगका
सिलसिला चलाती है ......
शवयात्रा अपनी शोभा
के साथ
गुजर रही थी वहीँ
पास के मैदान में
बच्चे खेल रहे थे
अपने खेल में पूरीतरह
मग्न थे,
इर्द-गिर्द के माहोल
से थे बेखबर ....
-अरुण
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