पके हुए तथ्य



तथ्यों का संग्रह करने वालों से
वह आदमी बिलकुल भिन्न हैं
जो तथ्यों को           
अनुभूति की आंच से
इतना पका देता हैं कि
तथ्य अपने आप
किसी निमित्त को पकड़कर
उसकी समझ-भूमि पर गिरकर
उसमें समां जाते हैं
-अरुण  

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