स्वभाव (Nature) और संस्कार (Nurture)
हम स्वभाव (Nature) और संस्कारों (Nurture)
के मिलेजुले रूप है.
ध्यान में उतरा चित्त
दोनों को अलग अलग कर देख पाता है,
मन में उतरा चित्त
चूँकि संस्कारों के प्रभाव में होता
है,
स्वभाव को देख पाने में असमर्थ है.
ध्यान चूँकि स्वभाव में स्थिर है,
उसके द्वारा संस्कारों को स्पष्टतः
देखा जाते ही
संस्कारों का प्रभाव या बंधन क्षीण
हो जाता है
-अरुण
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