अरुणोदय से रात तक - जीवन के सभी रंग

गगन में अरुणोदय संकेत

अभी मै जगत-रहित,पर चेत

हुआ अब अरुणोदय नभ में

लो आया जन्म लिए जग में

तो नभ में देख उषा आयी

हंसी अब मुख से लहराई

प्रभा का आया शुभ्र प्रभात

बनकर अब मै शिशु से बाल

चला था रवि सह तीव्र प्रकाश

न था अब आयु वृद्धि अवकाश

हुआ अब मध्य दिवस का काल

कर्म अब यौवन का अभिमान

मिटा दिन संध्या तब आयी

कलि अब तन की मुरझाई

रात ने दिन को डाला त्याज

देह पर कागों का था राज

..................................... अरुण

Comments

Udan Tashtari said…
बहुत बढ़िया!
Asha Joglekar said…
सुंदर ।

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