१० दिसम्बर
एक शेर ******** चित्र बनते दिख रहे हों आइने में... ......वे नही बनते न होते हैं वहाँ खोपड़ी में सिर्फ उर्जा का बहाव... मन विचारों की महज़ छाया वहाँ -अरुण एक शेर ******** जानने की कोशिशें..... नाकाम हैं सुनके पढ़के बस बने है जानकारी -अरुण सत्यदर्शन *********** हम सब असत्य या झूठ ही हैं... हमारे इस सार्वजनिक झूठ के झूठत्व का स्पष्ट दर्शन ही है सत्यदर्शन -अरुण एक शेर ********* हर किसी के ग़म-ख़ुशी का है अलग तप्सील दिल में सबके रंग उसका .......एक ही जैसा अरुण एक शेर ********* आतंकियों के बम मिसाइल रूस की हो धर्म ऊर्जाका ....अधार्मिक बन गया है अरुण एक शेर ******** उभर आते हैं वेद सारे.....कोरे काग़ज़ पर चितका कोरापन ही..... उनको पढ़ पाता है अरुण एक शेर ******** कहने को कुछ न होता तो न होती भाषा पाने को कुछ न होता तो न होती आशा अरुण एक शेर ********** सतह पर गिरती-ओ- उठती है लहर है नतीजा भी वजह भी.... ये लहर अरुण एक शेर ******** लाख पोछो या के झाड़ो तुम उसे... दीवारे पत्थर है न कुछभी दिख सके उसपारका अरुण एक शेर ********* ज...